• News | Home
  • Sports
    • Cricket
      • Cricket News
      • Cricket Videos
      • IPL -2020
      • T-10 Cricket
    • Soccer
      • Soccer News
      • Soccer Videos
  • World News
    • Australia
    • Canada
    • India
    • New Zealand
    • UK
    • USA
  • Technology
    • Innovations
    • Tech Videos
  • हिंदी समाचार
    • बड़ी ख़बर
    • विदेश
    • करियर
    • बॉलीवुड
    • खेल
  • Contact Us
T-TEN WORLD NEWS
  • News | Home
  • Sports
    • Cricket
      • Cricket News
      • Cricket Videos
      • IPL -2020
      • T-10 Cricket
    • Soccer
      • Soccer News
      • Soccer Videos
  • World News
    • Australia
    • Canada
    • India
    • New Zealand
    • UK
    • USA
  • Technology
    • Innovations
    • Tech Videos
  • हिंदी समाचार
    • बड़ी ख़बर
    • विदेश
    • करियर
    • बॉलीवुड
    • खेल
  • Contact Us
No Result
View All Result
  • News | Home
  • Sports
    • Cricket
      • Cricket News
      • Cricket Videos
      • IPL -2020
      • T-10 Cricket
    • Soccer
      • Soccer News
      • Soccer Videos
  • World News
    • Australia
    • Canada
    • India
    • New Zealand
    • UK
    • USA
  • Technology
    • Innovations
    • Tech Videos
  • हिंदी समाचार
    • बड़ी ख़बर
    • विदेश
    • करियर
    • बॉलीवुड
    • खेल
  • Contact Us
No Result
View All Result
T-TEN WORLD NEWS
No Result
View All Result
Home हिंदी समाचार बड़ी ख़बर

Book Review Bandook Dweep By Amitabh Ghosh – सब कुछ नष्ट करने पर तुली सभ्यता की ज़रूरी कहानी | T-10 NEWS

admin by admin
December 21, 2020
in बड़ी ख़बर
0
Book Review Bandook Dweep By Amitabh Ghosh – सब कुछ नष्ट करने पर तुली सभ्यता की ज़रूरी कहानी | T-10 NEWS
0
SHARES
2
VIEWS
Share on FacebookShare on Twitter


पर्यावरण अमिताभ घोष की जानी-पहचानी चिंताओं में रहा है. विकास के नाम पर उजाड़े जा रहे जंगल, बेदखल किए जा रहे पशु-पक्षी-कीट-पतंगे, सुखाई जा रही नदियां और ज़हरीले बनाए जा रहे समंदर, अपना घर और रास्ता बदलने को मजबूर डॉल्फिनें और व्हेल – और इन सबकी वजह से बिल्कुल नष्ट होने के कगार पर टिकी धरती – यह सब उनकी चिंता के दायरे में हैं. उन्हें यह खयाल भी है कि यह संकट सिर्फ विकास या पूंजी के अतिरेक का नहीं है, इसके पीछे एक बड़ा सांस्कृतिक कारण भी है, जिसकी जड़ें हमारे औपनिवेशिक अतीत और साम्राज्यवादी इतिहास में हैं. हमारी आधुनिक औपन्यासिक चेतना में यह पर्यावरणीय संकट ठीक से क्यों नहीं आता, इसकी पड़ताल करते हुए उन्होंने 2016 में एक किताब भी लिखी – ‘द ग्रेट डिरेंजमेंट : क्लाइमेट चेंज एंड द अनथिन्केबल’

‘बंदूक़ द्वीप’ पर लौटें. जो अमिताभ घोष के पाठक रहे हैं, वे सुखद ढंग से पाते हैं कि यह उपन्यास 2004 में लिखे उनके उपन्यास ‘हंगरी टाइड’ के किरदारों और स्थानों से उन्हें फिर मिलाता है. यह एक तरह से उसकी अगली कड़ी है. यह बात भी इसलिए दिलचस्प है कि ‘हंगरी टाइड’ लिखने के बाद अमिताभ घोष ने ‘सी ऑफ़ पॉपीज़’ जैसा महत्वपूर्ण उपन्यास लिखा और फिर ‘रिवर ऑफ स्मोक’ और ‘फूड ऑफ़ फ़ायर’ के साथ उसकी त्रयी – ट्राइलोजी – भी पूरी कर दी.

लेकिन अमिताभ घोष पूरे 15 साल बाद सुंदरवन के अपने छूटे हुए लुसीबाड़ी द्वीप पर लौटते हैं, पिया और नीलिमा से मिलाते हैं, और फकीर और होस्कर के बेटों को उपन्यास के नए चरित्रों के तौर पर पेश करते हैं. ‘हंगरी टाइड’ में डॉल्फ़िनों पर रिसर्च करने आई अमेरिकन पिया को सरकारी बोट के लालची कर्मचारी लूट के इरादे से पानी में धकेल देते हैं और उसे एक नाविक बचाता है. फकीर नाम का वह नाविक बिल्कुल जैसे समंदर की लहरों को, मछलियों को, मौसम और जगह के हिसाब से उनके आने-जाने को पहचानता है और पिया के शोध में ग़ज़ब का मददगार साबित होता है. पिया और फ़कीर की अनूठी प्रेम कहानी अगर इस उपन्यास का एक आयाम है, तो दूसरा आयाम वह पर्यावरणीय तबाही है, जो सुंदरबन के इलाक़े में घटित हुई है, जो वहां के पूरे पारिस्थितिकी तंत्र को भयावह ढंग से बदल रही है.

‘हंगरी टाइड’ में जो कनाई दत्त पिया को नीलिमा का पता देता है, वही इस उपन्यास ‘बंदूक द्वीप’ में इसके नायक दीनू को पिया और नीलिमा के पास लुसीबाड़ी जाने के लिए उकसाता है. ‘हंगरी टाइड’ से ‘गन आइलैंड’ या ‘बंदूक द्वीप’ तक आते-आते पिया अब नीलिमा के ट्रस्ट का अपरिहार्य हिस्सा हो चुकी है, पिछले उपन्यास में दिवंगत हो चुके फकीर की पत्नी मोयना इस उपन्यास में पिया और इस ट्रस्ट की बहुत भरोसेमंद और मज़बूत सहायिका है और फ़कीर का भटका हुआ बेटा उपन्यास के महत्वपूर्ण किरदारों में एक है.

हमेशा की तरह अमिताभ घोष उपन्यास का कथा सूत्र इतनी गहनता से गूंथते हैं कि पाठक उससे बाहर निकल नहीं पाता, और हमेशा की तरह ही उसमें शोध और तथ्यों की इतनी छौंक लगाते हैं कि हर वाक्य को बहुत ध्यान से पढ़ते हुए आगे बढ़ने की इच्छा होती है. ‘बंदूक द्वीप’ में भी सुंदरवन के बिगड़ते और उजड़ते हुए रूप की कहानी है, वहां के नागरिकों की बेदखली और उनके लगभग गुलामों की तरह पलायन की मार्मिक दास्तान है, लेकिन यह कहानी यहीं नहीं टिकी रहती – अमिताभ घोष इसका एक वैश्विक परिप्रेक्ष्य भी सामने रखते हैं. जो सुंदरवन में घटित हो रहा है, वही पश्चिमी देशों में दूसरी शक्लों में आकार ले रहा है. जंगल जल रहे हैं, पक्षी नए ठिकानों की तलाश में हैं, मछलियां वहां मिल रही हैं, जहां उन्हें नहीं होना चाहिए, ज़हरीली मकड़ियां घरों के भीतर आ रही हैं, पेड़ों और लकड़ियों को खोखला बनाने वाले कीड़े भर रहे हैं – सुंदरवन ही तहस-नहस नहीं हो रहा, ख़तरे में इटली भी है, वेनिस भी है – एक तरह से पूरी दुनिया है.

और यह प्रकृति का अभिशाप भर नहीं है – यह वह प्रक्रिया है, जिसे सपाट ढंग से मानव निर्मित त्रासदी कहने का चलन बन गया है. इसके कई पक्षों को अमिताभ घोष बहुत सूक्ष्मता के साथ पकड़ते हैं. इसी उपन्यास से गुज़रते हुए हम पाते हैं कि गोरी दुनिया ने कितनी सावधानी से बीती सदियों में अपनी सुविधा के मुताबिक आबादियों का स्थानांतरण इस तरह किया कि वे अपने उपनिवेशों के लिए अधिकतम संसाधन जुटा सकें और अपने ऐश्वर्य के लिए अधिकतम दास. खुले बाज़ार वाली इस दुनिया की बाहरी चमक-दमक के भीतर कितना अमानवीय अंधेरा है, जिसमें तरह-तरह के लोमहर्षक अपराध फूलते-फलते हैं – उपन्यास में इसे महसूस किया जा सकता है. वीज़ा और पासपोर्ट के परे एक समानांतर दुनिया है, जिसे विस्थापन की मजबूरी में, मज़दूरी या नौकरी की तलाश में या बेहतर जीवन के आकर्षण में बहुत सारे लोग अपना ज़रिया बनाने की कोशिश करते हैं और उसमें ऐसे उलझ जाते हैं कि निकल नहीं पाते. दरअसल यह एक पूरा दुष्चक्र है, जिसे भ्रष्ट सरकारी तंत्र, अनैतिक पूंजीवाद और तरह-तरह के कार्टेल चलाते रहते हैं और जो किन्हीं भी चुनी हुई लोकतांत्रिक सरकारों जितना ही ताकतवर साबित होता है.

‘बंदूक़ द्वीप’ की कहानी बंदूक़ी सौदागर के ज़िक्र से शुरू होती है. उपन्यास के मुताबिक बंगाल और सुंदरबन की तरह-तरह की लोककथाओं के बीच यह भी एक छुपी हुई कहानी है. बंगाली लोककथाओं पर पीएचडी करने वाले नायक को कनाई इस कहानी की याद दिलाता है और उसे इस द्वीप पर जाने को प्रेरित करता है. नायक नीलिमा मासी के ट्रस्ट की मदद से इस रहस्यमय द्वीप पर पहुंचता है, जहां मनसा देवी का एक मंदिर है, जो इसी बंदूकी सौदागर ने बनवाया है. यहां एक हादसा हो जाता है, जो अंततः कथा को इस समंदर और मुल्क से बाहर ले जाने का बायस भी बनता है. सुंदरवन से चली कहानी कई मुल्कों से होती हुई वेनिस तक जा पहुंचती है. कहानी के अंतिम हिस्से में पिछले कुछ वर्षों में गंभीर हुए यूरोप के शरणार्थी संकट की स्मृति है. दुनिया के पिछड़े कहलाने वाले हिस्सों के अवैध प्रवासियों से भरी एक नीली नाव इटली के लिए चली है और इटली की दक्षिणपंथी शक्तियों का उद्घोष है कि वे इस नाव को अपने यहां आने नहीं देंगे. अमिताभ घोष ने कई सारी युक्तियां लगाकर पर्यावरण के विध्वंस की इस कहानी को विकास, इतिहास, उपनिवेशवाद, और दक्षिपपंथी राष्ट्रवाद के उभार से पैदा हुई विडम्बनाओं से जोड़ दिया है. अंत तक आते-आते उपन्यास में एक महाकाव्यात्मक अनुगूंज सी मिलने लगती है.

अमिताभ घोष का विविध-विपुल अध्ययन उनके उपन्यासों का सबसे सुंदर पक्ष है. वे जो कहानी कहते हैं, उसके भीतर भाषा, साहित्य, समाज, इतिहास-भूगोल की इतनी प्रासंगिक सूचनाओं को गूंथ देते हैं कि आप एक साथ कई किताबें पढ़ने का आनंद ले सकते हैं – लेकिन अंततः पाते हैं कि एक ही किताब से बंधे हुए हैं.

लेकिन एक बात और है, जिसे कहा जाना ज़रूरी है. कहीं ऐसा प्रतीत होता है कि निरे-स्थूल, तथ्यात्मक यथार्थ को अंतिम और संपूर्ण यथार्थ न मानकर, स्वप्नों, लोककथाओं, मिथकों और बहुत सारी जनश्रुतियों, किम्वदंतियों से निकलने-बनने वाले मौखिक-सामाजिक इतिहास को भी अमिताभ घोष यथार्थ की तरह ही देखना चाहते हैं. एक लिहाज़ से यह करना यथार्थ के बहुत सारे जटिल रूपों को समझने के लिए ज़रूरी भी है, लेकिन अगर यह अयथार्थ की तरह ठोस यथार्थ को विस्थापित-बेदखल करने लगे, तो इसे स्वीकार करने में वैचारिक दुविधा होती है. ‘बंदूक़ द्वीप’ के बहुत सारे प्रसंग सहज तर्कवाद का ही नहीं, उपन्यास की विश्वसनीयता का भी अतिक्रमण करते हैं और बीच-बीच में लगता है कि लेखक की प्रचुर कल्पनाशक्ति कथा को एक मोड़ देने की ज़िद में कहानी की स्वाभाविकता के साथ अन्याय कर बैठती है. मनसा देवी के मंदिर में नाग का प्रगट होना और टीपू को काट लेना, उपन्यास में दिखने वाले कई पूर्वाभास, और अंत में चिड़ियों और मछलियों द्वारा लगभग चमत्कार की तरह एक भव्य दृश्य बनाना आदि इसके स्थूल और तत्काल याद आने वाले उदाहरण हैं.

हैरानी की बात यह है कि ‘हंगरी टाइड’ में समुद्र और मछलियों को लेकर रफ़ीक के पारंपरिक ज्ञान को छोड़ दें, तो ऐसे चमत्कारी दृश्य नहीं हैं. जो हैं, वे यथार्थ की परिधि में हैं, बिल्कुल विश्वसनीय हैं. लेकिन अमिताभ सत्य और मिथक को, इतिहास और जनश्रुति को मिलाने का काम पहली बार इस उपन्यास में नहीं कर रहे हैं. 1995 में छपे उनके उपन्यास ‘कैलकेटा क्रोमोज़ोम्स’ में यह प्रविधि बिल्कुल प्रेत वर्णन की अविश्वसनीय हदों तक चली जाती है और महादेशों के आरपार किरदार एक साथ सक्रिय दिखते हैं. मलेरिया के मच्छर और टीके की खोज को लेकर दिलचस्प ढंग से बढ़ने वाला उपन्यास बीच-बीच में प्रेत-कथा में बदलता दिखता है.

कहा जा सकता है कि कथा-लेखन में कल्पना की इतनी छूट क्यों नहीं ली जा सकती…? अंततः हमारी सारी किस्सागोई की परंपरा ऐसी ही असंभव कल्पनाओं के बीच बनी है, जिसमें दानव और परी होते हैं और जानवर एक-दूसरे की बोली समझते हैं और इंसान बिल्कुल ईश्वरी शक्तियों से लैस होते हैं. यह भी नहीं कि यह प्रविधि बिल्कुल अप्रासंगिक हो चुकी है. मारख़ेज़ ने जिसे जादुई यथार्थवाद के तौर पर स्थापित किया, उसकी अलग-अलग रंगतें सलमान रश्दी से लेकर मुराकामी तक में मिलती हैं. लेकिन वहां ये प्रविधियां कथा को बढ़ाने के ऐसे उपक्रम हैं, जिन्हें पाठक एक ‘टूल’ की तरह पहचानता है और इनसे एक ज़रूरी संवेदनात्मक दूरी बरत पाता है.

अमिताभ घोष में ये प्रसंग जैसे मूल कहानी के सिलसिले को प्रभावित करने वाले लगते हैं, किरदारों के मनोभावों को गढ़ने, उनको गति देने का काम करते हैं, इसलिए एक तरह की अस्वाभाविकता पैदा करते हैं.

लेकिन इतना कहने के बाद भी यह कहना होगा कि अंततः उन्हें पढ़ने का लोभ बना रहता है और उनकी कहानियों में दिलचस्पी का तत्व भी पाठकों को बांधे रखता है.

हिन्दी में अमिताभ घोष का यह पहला अनुवाद नहीं है. ‘सी ऑफ पॉपीज़’ का अनुवाद ‘अफीम सागर’ के नाम से हो चुका है. हालांकि उस उपन्यास में जैसी जहाज़ी भाषा अमिताभ घोष ने इस्तेमाल की है, उसका अनुवाद आसान नहीं था.

अनुवाद ‘गन आइलैंड’ का भी आसान नहीं रहा होगा. अमिताभ घोष की भाषा की अपनी जटिलताएं हैं – उस प्रवाह को निभाना किसी भी अनुवादक के लिए चुनौती है. इसी तरह वह जिस विशेषज्ञता वाली शब्दावली का इस्तेमाल अमूमन अपने कथा-संसार में करते हैं, उसका भी निर्वाह हिन्दी में आसान नहीं है. दरअसल अनुवादक मनीषा तनेजा ने उपन्यास के अंत में अपनी बात रखते हुए इसका कुछ उल्लेख किया भी है.

लेकिन कहना होगा कि मनीषा तनेजा के अनुवाद में प्रवाह है. इसे पढ़ते हुए अमिताभ घोष के लेखन की बारीक़ियों का सुराग मिलता रहता है. उपन्यास की सूक्ष्मताएं भी ठीक से अभिव्यक्त हुई हैं.

Newsbeep

लेकिन कुछ जगहों पर अच्छे भोजन में मिलने वाले कंकड़ की तरह असावधानी भी है और हिन्दी में इन दिनों आम हो गई कुछ प्रचलित चूकें भी, जो बुरी तरह खलती हैं. मसलन ‘तादाद’ शब्द को एकाधिक जगहों पर ‘तादात’ लिखा गया है. इसी तरह ‘कि’ और ‘की’ के बीच का मिटता हुआ अंतर इस उपन्यास में भी मिटा हुआ लगता है. ऐसे उदाहरण और भी हैं. कुछ बांग्ला शब्दों और नामों को लेकर भी सावधान होने की ज़रूरत थी. मसलन ‘बालीगंज’ को ‘बैलीगंज’ लिखा देखकर कोलकाता के भूगोल से बहुत दूर तक अनजान रहने के बावजूद अजीब लगता है. बांग्ला में ‘जल्दी-जल्दी’ के लिए इस्तेमाल होने वाला शब्द ‘ताड़ाताड़ी’ तरतरी हो गया है और इस लेखक की समझ में जिसे नाखुदा इल्यास होना चाहिए था, वह नाखुडा इल्यास हो गया है. नाखुदा का मतलब नाविक ही है, जो शायद इस किरदार पर सटीक उतरता है.

लेकिन इस छिद्रान्वेषण को भूल जाइए. यह इस टिप्पणीकार की मजबूरी है. आप मनीषा तनेजा द्वारा किए गए इस अच्छे उपन्यास का हिन्दी में ठीक से आनंद ले सकते हैं.



Source link

Share this:

  • Click to share on Twitter (Opens in new window)
  • Click to share on Facebook (Opens in new window)
  • Click to share on WhatsApp (Opens in new window)

Like this:

Like Loading...

Disclaimer: This story is auto-aggregated by a computer program and has not been created or edited by T-10worldnews. Publisher: admin

Previous Post

Kane Williamson shifts focus back to cricket after ‘incredibly special’ week at home | T-10 NEWS

Next Post

Match Preview – Pakistan vs New Zealand, New Zealand v Pakistan 2020, 2nd T20I | T-10 NEWS

admin

admin

Next Post
Match Preview – Pakistan vs New Zealand, New Zealand v Pakistan 2020, 2nd T20I | T-10 NEWS

Match Preview - Pakistan vs New Zealand, New Zealand v Pakistan 2020, 2nd T20I | T-10 NEWS

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Discover Top Career Opportunities Abroad Register Now !

https://t-10worldnews.com/wp-content/uploads/2019/12/StudyHeights_NextGenEd.mp4
  • Trending
  • Comments
  • Latest
Sony PS5: Here’s where you can still buy the next-gen PlayStation today on launch day

PS5 restock: Here’s where and how to buy a PlayStation 5 this week

December 2, 2020
Xbox Series X restock for Cyber Monday: Where to buy the next-gen gaming system

Xbox Series X restock for Cyber Monday: Where to buy the next-gen gaming system

November 28, 2020
Xbox Series X and Series S restock: Where to buy this week

Xbox Series X and Series S restock: Where to buy this week

December 3, 2020
Police handed over fake contract of ration card printing | T-10 NEWS

Gangster Hashim Baba arrested by delhi police – दिल्‍ली पुलिस के साथ मुठभेड़ में टॉप मोस्‍ट गैंगस्‍टर हाशिम बाबा पकड़ा गया, 6 लाख रु. का है इनाम | T-10 NEWS

November 11, 2020
Herald afternoon quiz: January 1 | T-10 NEWS

Herald afternoon quiz: January 1 | T-10 NEWS

1
3 tips for entering text on a smartphone

3 tips for entering text on a smartphone

1
How to install the Podman container engine on CentOS 8

How to install the Podman container engine on CentOS 8

1
Coronavirus in Canada: What are the next steps to contain the disease here?

Coronavirus in Canada: What are the next steps to contain the disease here?

1
IPL 2021: Maxwell eager to learn from Kohli at RCB

IPL 2021: Maxwell eager to learn from Kohli at RCB

March 1, 2021
My dream is to see India and Pakistan becoming good friends: Malala Yousafzai – मेरा सपना भारत और पाकिस्तान को ‘अच्छे दोस्त’ बनते देखना है: मलाला यूसुफजई | T-10 NEWS

My dream is to see India and Pakistan becoming good friends: Malala Yousafzai – मेरा सपना भारत और पाकिस्तान को ‘अच्छे दोस्त’ बनते देखना है: मलाला यूसुफजई | T-10 NEWS

March 1, 2021
Covid 19 coronavirus: Will New Zealand choke just when the finish line’s in sight? | T-10 NEWS

Covid 19 coronavirus: Will New Zealand choke just when the finish line’s in sight? | T-10 NEWS

March 1, 2021
WestJet reaches tentative agreement with union that represents more than 3,100 cabin crew

WestJet reaches tentative agreement with union that represents more than 3,100 cabin crew

March 1, 2021

Recent News

IPL 2021: Maxwell eager to learn from Kohli at RCB

IPL 2021: Maxwell eager to learn from Kohli at RCB

March 1, 2021
My dream is to see India and Pakistan becoming good friends: Malala Yousafzai – मेरा सपना भारत और पाकिस्तान को ‘अच्छे दोस्त’ बनते देखना है: मलाला यूसुफजई | T-10 NEWS

My dream is to see India and Pakistan becoming good friends: Malala Yousafzai – मेरा सपना भारत और पाकिस्तान को ‘अच्छे दोस्त’ बनते देखना है: मलाला यूसुफजई | T-10 NEWS

March 1, 2021
Covid 19 coronavirus: Will New Zealand choke just when the finish line’s in sight? | T-10 NEWS

Covid 19 coronavirus: Will New Zealand choke just when the finish line’s in sight? | T-10 NEWS

March 1, 2021
WestJet reaches tentative agreement with union that represents more than 3,100 cabin crew

WestJet reaches tentative agreement with union that represents more than 3,100 cabin crew

March 1, 2021
T-TEN WORLD NEWS

Visitors

0341086
Visit Today : 356
Visit Yesterday : 0

Follow Us

Browse by Category

  • Apps
  • Business
  • Canada
  • Cricket
  • Cricket Videos
  • Entertainment
  • Fashion
  • Food
  • Gadget
  • Gaming
  • Health
  • Innovations
  • IPL -2020
  • Lifestyle
  • Mobile
  • Movie
  • Music
  • New Zealand
  • News
  • Politics
  • Review
  • Science
  • Soccer
  • Soccer Videos
  • Sports
  • Startup
  • Tech
  • Tech Videos
  • Travel
  • Uncategorized
  • World
  • World News
  • खेल
  • बड़ी ख़बर

Recent News

IPL 2021: Maxwell eager to learn from Kohli at RCB

IPL 2021: Maxwell eager to learn from Kohli at RCB

March 1, 2021
My dream is to see India and Pakistan becoming good friends: Malala Yousafzai – मेरा सपना भारत और पाकिस्तान को ‘अच्छे दोस्त’ बनते देखना है: मलाला यूसुफजई | T-10 NEWS

My dream is to see India and Pakistan becoming good friends: Malala Yousafzai – मेरा सपना भारत और पाकिस्तान को ‘अच्छे दोस्त’ बनते देखना है: मलाला यूसुफजई | T-10 NEWS

March 1, 2021
Covid 19 coronavirus: Will New Zealand choke just when the finish line’s in sight? | T-10 NEWS

Covid 19 coronavirus: Will New Zealand choke just when the finish line’s in sight? | T-10 NEWS

March 1, 2021
  • News | Home
  • Sports
  • World News
  • Technology
  • हिंदी समाचार
  • Contact Us

© 2020 t-10worldnews.com

No Result
View All Result
  • News | Home
  • Sports
    • Cricket
      • Cricket News
      • Cricket Videos
      • IPL -2020
      • T-10 Cricket
    • Soccer
      • Soccer News
      • Soccer Videos
  • World News
    • Australia
    • Canada
    • India
    • New Zealand
    • UK
    • USA
  • Technology
    • Innovations
    • Tech Videos
  • हिंदी समाचार
    • बड़ी ख़बर
    • विदेश
    • करियर
    • बॉलीवुड
    • खेल
  • Contact Us

© 2020 t-10worldnews.com

%d bloggers like this: